Gang Rivalry in Jammu: The Shocking Daylight Murder of Sumit Jandial and the Rise of Underworld Tensions

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Samba Times Special

The bustling city of Jammu witnessed a brazen daylight murder on January 21, 2025, as Sumit Jandial, alias Gataru, a notorious underworld figure and head of the Gataru Gang, was shot dead at Jewel Chowk. The incident has not only alarmed the public but has also highlighted the deep-seated gang rivalry and escalating tensions within the region’s underworld.

The Incident

Sumit Jandial, a 37-year-old resident of Vijaypur, was ambushed while traveling in his SUV. Assailants who were lying in wait fired four bullets, fatally wounding him. Despite being rushed to Government Medical College (GMC) Jammu, Jandial was declared dead on arrival. The attackers fled the scene, prompting the police to launch a massive search operation.

Sumit Jandiyal alias Gataru

Later, the Additional Director General of Police (ADGP) Jammu, Anand Jain, ruled out any terror angle, attributing the killing to gang rivalry. Shortly after the murder, the KHAUFF Gang, led by Vicky Slathia alias Vicky Khauff, claimed responsibility in a chilling social media post. Gang members Anil Rajee and Bunty Rajje stated that the killing was revenge for the murder of their associate, Shunnu.

The Underworld Rivalry: Gataru Gang vs. KHAUFF Gang

This murder is the latest chapter in a long-standing feud between the Gataru Gang and KHAUFF Gang. Both gangs have been embroiled in a bitter rivalry over control of the region’s underworld, which includes extortion, Satta and illicit activities.

The Genesis of the Rivalry

The conflict traces back to the early 2010s, following the murder of underworld dons Biloo Cheer and Sanjay Gupta alias Bakra, the head of Bakra Gang. Their absence created a power vacuum that allowed second-in-command leaders like Shallu Slathia & Mohan Cheer to rise to prominence. Gang rivalry between Shalu and Mohan cheer were so intends that in 1915 onwards they were often in jail and coming out of parole to settle score with each other. While They were planning to execute each other there was also fear and dilemma in between them and for quite a long time they were in jails or outside of the state. In there absence the persons who worked for them they try to get in eminence and try to gain control of The Underworld and so in this way KHAUFF and GATARU GANG came into existence. Originally allies as they belong & live in close proximity that is ave their background from Gurha Slathia & Uttarvahini, their partnership disintegrated due to mutual jealousy, financial disputes, and ambitions to dominate the underworld.

Both gangs gained notoriety for their violent methods, with associates frequently imprisoned or killed in the ongoing gang war. Leaders like Vicky Khauff and Gataru became infamous figures, earning public and police attention.

Social Media and Gang Culture

The murder of Gataru has drawn comparisons to the killing of Punjabi singer Sidhu Moosewala, as both were done in same style. As the KHAUFF Gang publicized their responsibility through social media, much like Lawrence Bishnoi’s gang did. This trend of broadcasting criminal activities online not only fuels public fear but also emboldens gang members seeking notoriety. As in the murder of Akshay Kumar The gangsters of Khauff gang take responsibility on social media and had brazen displays of pistols and amputated hand of the Akshay Kumar so in the same way this time also khauff gang has took the responsibility of the murder of Sumit jandial alias Gataru on social media

Recent Developments

The rivalry reached a boiling point after Mohan Cheer’s murder in Chandigarh by Shallu Gang, leaving both gangs without central leadership as Mohan Cheer gang became headless and the heads of the other gang were in the jail. The result was a string of retaliatory attacks between khauf and Gataru Gang to gain the prominence including the high-profile murders of Akshay Kumar and Shunnu, both linked to these gangs. Police efforts to quell violence led to numerous arrests under the Public Safety Act (PSA), with Jandial among those detained.

Upon his release, Jandial reportedly resumed his operations, further stoking fears of an imminent clash. His death in broad daylight highlights the audacity of these gangs and the failure of law enforcement to preempt such incidents, particularly as the city is on high alert ahead of Republic Day.

Impact on Public Safety

The daylight murder has left the public shaken, with fears of escalating violence between rival gangs. The brazenness of the attack, carried out in a busy area, highlights the underworld’s disregard for public safety and the law.

Police Response

The police face immense pressure to restore order and prevent further bloodshed. Their immediate priority is apprehending the perpetrators and dismantling the networks of both gangs. However, the deep roots of these criminal organizations pose significant challenges.

To curb such gang violence, a multi-pronged approach is necessary:

  1. Strengthening Intelligence Networks: Enhancing surveillance and gathering intelligence to preempt gang activities.
  2. Strict Enforcement: Swift and decisive action against gang leaders and members.
  3. Community Engagement: Building trust between law enforcement and local communities to encourage information-sharing.
  4. Legislative Measures: Strengthening laws to ensure that gang members face harsher penalties and longer detentions.
  5. De-radicalization Programs: Offering support and rehabilitation to those willing to leave the underworld.

Conclusion

The murder of Sumit Jandial is a grim reminder of the unchecked gang violence that plagues Jammu and its surrounding regions. As gang wars intensify, the onus is on the authorities to act decisively to prevent the city from descending further into chaos. The public awaits justice, hoping for a swift end to this era of bloodshed and fear.

जम्मू में गैंग राइवलरी: सुमित जंडयाल की चौंकाने वाली दिनदहाड़े हत्या और अंडरवर्ल्ड में बढ़ता तनाव

जम्मू शहर ने 21 जनवरी 2025 को एक चौंकाने वाली घटना देखी, जब कुख्यात अंडरवर्ल्ड गैंगस्टर और गटारू गैंग के सरगना सुमित जंडयाल उर्फ गटारू की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। यह घटना न केवल जनता को चौंका देने वाली है, बल्कि क्षेत्र के अंडरवर्ल्ड में गहरी पैठी दुश्मनी और बढ़ते तनाव को भी उजागर करती है।

घटना का विवरण

37 वर्षीय सुमित जंडयाल, जो विजयपुर के निवासी थे, अपनी एसयूवी में यात्रा कर रहे थे, जब उन पर पहले से घात लगाए बैठे हमलावरों ने हमला कर दिया। हमलावरों ने उन पर चार गोलियां चलाईं, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तुरंत सरकारी मेडिकल कॉलेज (GMC) जम्मू ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हमलावर मौके से फरार हो गए, जिसके बाद पुलिस ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया।

बाद में जम्मू के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) आनंद जैन ने इस हत्या में किसी भी आतंकवादी कोण से इनकार किया और इसे गैंग राइवलरी का परिणाम बताया। हत्या के तुरंत बाद, खौफ गैंग के सरगना विक्की सलाथिया उर्फ विक्की खौफ के साथियों ने सोशल मीडिया पर हत्या की जिम्मेदारी ली। गैंग के सदस्यों अनिल राजा और बंटी राजा ने कहा कि यह हत्या उनके सहयोगी शुनु की मौत का बदला था।

अंडरवर्ल्ड की दुश्मनी: गटरू गैंग बनाम खौफ गैंग

यह हत्या गटुरू गैंग और खौफ गैंग के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी का ताजा अध्याय है। दोनों गैंग क्षेत्र के अंडरवर्ल्ड पर नियंत्रण, जिसमें फिरौती, तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियां शामिल हैं, के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

दुश्मनी की शुरुआत

यह संघर्ष 2010 के दशक की शुरुआत में उस समय शुरू हुआ जब अंडरवर्ल्ड के दो बड़े डॉन मोहन चीर और बकरा की हत्या कर दी गई। उनकी अनुपस्थिति में दूसरे नंबर के साथियों ने जिन में शालू सलाथिया और मोहन चीर प्रमुख थे उन्होंने एक दूसरे पर हमले करने के लिए 1915 के बाद के वर्षों में लगातार जेल के अंदर बाहर आते रहे इसके अलावा आपसी प्रतिस्पर्धा डर और भय के माहोल में वह काफी समय जेल के अंदर और राज्य से बाहर भी रहे। उनके बाहर रहने से जब एक पावर वैक्यूम बन रहा था तब उसमें विक्की सलाथिया उर्फ विक्की खौफ और सुमित जंडयाल उर्फ गटारू जैसे दूसरे स्तर के नेता उभरे। हालांकि, शुरू में ये दोनों सहयोगी थे, लेकिन आपसी ईर्ष्या, वित्तीय विवाद और अंडरवर्ल्ड पर नियंत्रण की महत्वाकांक्षाओं ने इनकी दोस्ती को तोड़ दिया।

दोनों गैंग अपनी हिंसक गतिविधियों के लिए बदनाम हो गए, और उनके सदस्य लगातार जेल जाते रहे या दुश्मनी में मारे जाते रहे। विक्की खौफ और गटारू जैसे बदमाश कुख्यात हो गए, और उनकी गतिविधियों ने जनता और पुलिस दोनों का ध्यान आकर्षित किया।

सोशल मीडिया और गैंग संस्कृति

गटारू की हत्या ने पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या की याद दिला दी, क्योंकि खौफ गैंग ने सोशल मीडिया पर हत्या की जिम्मेदारी ली, ठीक वैसे ही जैसे लॉरेंस बिश्नोई के गैंग ने किया था। सोशल मीडिया पर इस तरह की सार्वजनिक घोषणाएं न केवल जनता में भय फैलाती हैं, बल्कि गैंग के सदस्यों को कुख्याति पाने के लिए प्रोत्साहित भी करती हैं।

हालिया घटनाएं

चंडीगढ़ में मोहन चीयर की हत्या के बाद, दोनों पुराने गैंग शालू गैंग और मोहन चीर गैंग बिना नेतृत्व के रह गए। मोहन चीर गैंग का कोई भी नेतृत्व नहीं रहा और शालू गैंग के सदस्य सारे जेल में चले गए। इसके परिणाम में खौफ और गटारू गैंग में प्रतिस्पर्धा बढ़ती चली गई और उसका परिणाम प्रतिशोधी हमलों के रूप में सामने आया, जिनमें अक्षय कुमार और शुनु जैसे हाई-प्रोफाइल हत्या के मामले शामिल थे। पुलिस ने हिंसा को रोकने के लिए सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत कई गिरफ्तारियां कीं, जिसमें जंडयाल और उसके भाई भी शामिल थे।

जेल से रिहा होने के बाद, जंडयाल ने कथित तौर पर अपने काम फिर से शुरू कर दिए, जिससे संभावित झड़प का खतरा और बढ़ गया। उनकी दिनदहाड़े हत्या ने इन गैंगों की दुस्साहसिकता और कानून प्रवर्तन की विफलता को उजागर कर दिया है।

जन सुरक्षा पर प्रभाव

दिनदहाड़े हुई इस हत्या ने जनता को झकझोर कर रख दिया है। लोग इस बात से डर रहे हैं कि दोनों गैंग के बीच हिंसा और बढ़ सकती है। व्यस्त इलाके में इस तरह के हमले से अंडरवर्ल्ड की सार्वजनिक सुरक्षा और कानून के प्रति लापरवाही साफ झलकती है।

पुलिस की प्रतिक्रिया

पुलिस पर अब स्थिति को नियंत्रण में लाने और आगे के रक्तपात को रोकने का भारी दबाव है। उनकी प्राथमिकता अपराधियों को पकड़ने और दोनों गैंगों के नेटवर्क को ध्वस्त करने की है। हालांकि, इन संगठनों की गहरी जड़ें कानून प्रवर्तन के लिए बड़ी चुनौती हैं।

आगे का रास्ता

गैंग हिंसा पर काबू पाने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण आवश्यक है:

  1. खुफिया नेटवर्क मजबूत करना: गैंग गतिविधियों को रोकने के लिए निगरानी और खुफिया जानकारी को बढ़ाना।
  2. कड़ी कार्रवाई: गैंग नेताओं और सदस्यों के खिलाफ सख्त और निर्णायक कार्रवाई।
  3. समुदाय की भागीदारी: कानून प्रवर्तन और स्थानीय समुदायों के बीच विश्वास निर्माण।
  4. कानूनी सख्ती: गैंग सदस्यों के लिए सख्त सजा और लंबे समय तक हिरासत सुनिश्चित करना।
  5. पुनर्वास कार्यक्रम: अंडरवर्ल्ड छोड़ने के इच्छुक लोगों को समर्थन और पुनर्वास की पेशकश।

निष्कर्ष

सुमित जंडयाल की हत्या इस बात की सख्त याद दिलाती है कि जम्मू और इसके आसपास के क्षेत्रों में गैंग हिंसा कितनी अनियंत्रित हो चुकी है। ज्वेल चौक जैसी व्यस्ततम जगह पर इस तरह की गैंगवार का होना और मर्डर होना इस बात को भी दर्शाता है कि बदमाशों के हौसले किस कदर बुलंद हैं और 26 जनवरी के हाई अलर्ट के बावजूद इस वारदात को अंजाम देने में कामयाब हो गए। अधिकारियों पर दबाव है कि वे निर्णायक कार्रवाई करें ताकि शहर को अराजकता से बचाया जा सके। जनता न्याय की प्रतीक्षा कर रही है और उम्मीद कर रही है कि इस रक्तपात और भय के युग का जल्द ही अंत होगा।

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