केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा- आईएएस/सिविल सेवाओं के लिए पाठ्यक्रम भारत के बदलते परिदृश्य के अनुरूप होना चाहिए और इसलिए समय-समय पर इसमें निरंतर संशोधन की आवश्यकता है

 केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभारविज्ञान एवं प्रौद्योगिकीराज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभारपृथ्वी विज्ञानप्रधानमंत्री कार्यालयकार्मिकलोक शिकायत एवं पेंशनपरमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएएमें कहा कि आईएएस /सिविल सेवाओं के लिए पाठ्यक्रम भारत के बदलते परिदृश्य के अनुरूप होना चाहिए और इसलिए वर्तमान परिस्थतियों में आवश्यकता है कि लगातार तथा समयसमय पर इसे संशोधित किया जाए। उन्होंने कहा कि यह वर्तमान और भविष्य के प्रशासकों को उस दूरदर्शी रोडमैप के लिए फिर से उन्मुख करने के लिये भी महत्वपूर्ण हैजो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगले 25 वर्षों के लिए स्वतंत्र भारत के 100 वर्ष होने तक हमारे सामने रखा है।

आज अकादमी में संयुक्त नागरिकसैन्य कार्यक्रम (जेसीएमके समापन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने एलबीएसएनएएराष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी), भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए), सचिवीय प्रशिक्षण और प्रबंधन संस्थान (आईएसटीएमजैसे उन संस्थानों द्वारा संयुक्त कार्यक्रमों का आह्वान किया जो सुशासन के लिए क्षमता निर्माण हेतु समर्पित हैंइससे साइलो में काम करने के बजाय सहक्रियात्मक कार्यक्रम आयोजित हो सकें जो इन संस्थानों द्वारा किए गए व्यक्तिगत प्रयासों का पूरक होगा उन्होंने मसूरी अकादमी में विजिटिंग फैकल्टी का दायरा बढ़ाने और गेस्ट फैकल्टी को वैज्ञानिक विशेषज्ञोंऔद्योगिक उद्यमियोंसफल स्टार्टअप तथा उपलब्धि हासिल करने वाली महिलाओं को और अधिक समावेशी बनाने का भी सुझाव दिया।



प्रमुख सुधारों की दिशा में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटीद्वारा उठाये गए एक कदम के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मिशन कर्मयोगी” की स्थापना की जा रही थीजिसे परिभाषित करने पर ‘नियम से भूमिका‘ के कामकाज पर जोर दिया जाएगा।

एक सप्ताह के संयुक्त नागरिकसैन्य कार्यक्रम के सफलतापूर्वक संचालन के लिए अकादमी के पाठ्यक्रम समन्वयक एवं कर्मचारियों को बधाई देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कार्यक्रम में भाग लेने वाले अधिकारियों की भी सराहना कीइसका उद्देश्य सिविल सेवा अधिकारियों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों के बीच संरचनात्मक इंटरफेस प्रदान करना है। जिसका मकसद संयुक्त कर्तव्यों के दौरान एक बेहतर और साझा समझसमन्वय तथा सहयोग  देश की राष्ट्रीय सुरक्षा सेवा करना है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम 2001 में कारगिल युद्ध के बाद शुरू किया गया था और प्रतिभागियों को बाहरी एवं आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों से परिचित कराने में एक लंबा सफर तय किया है तथा भाग लेने वाले अधिकारियों को अनिवार्य नागरिकसैन्य सेना के सामने लाने में व्यापक भूमिका निभाता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत अपनी आजादी के 75 साल में प्रवेश कर रहा हैऔर अगले 25 वर्षों की योजना बना रहा हैतो ऐसे कार्यक्रम हमें नागरिक तथा सैन्य अधिकारियों को आंतरिक एवं बाहरी रूप से विभिन्न संघर्ष स्थितियों में संयुक्त रूप से काम करने के लिए तैयार करने में सक्षम बनाते हैं।

इससे पहले एलबीएसएनएए के निदेशक के श्रीनिवास ने नागरिकसैन्य कार्यक्रम और उसके उद्देश्यों के बारे में एक रूपरेखा दी।